“मजदूर”
“मजदूर”
सिन्धु हड़प्पा मोहनजोदड़ो
हर सभ्यता में रहे हो मौजूद तुम
लेकिन इसकी खुदाई में
कहीं मिले नहीं तुम्हारे अवशेष,
जरा सोचो
ये दस्तूर है ना कि विद्वेष।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति
“मजदूर”
सिन्धु हड़प्पा मोहनजोदड़ो
हर सभ्यता में रहे हो मौजूद तुम
लेकिन इसकी खुदाई में
कहीं मिले नहीं तुम्हारे अवशेष,
जरा सोचो
ये दस्तूर है ना कि विद्वेष।
– डॉ. किशन टण्डन क्रान्ति