मजदूर दिवस पर
मेहनत करते रात दिन, देखो ये मजदूर
फिर भी भूखे पेट ही ,सोने को मजबूर
सोने को मजबूर,जगह कम ज्यादा बच्चे
पीते खूब शराब, अक्ल के होते कच्चे
होते ये गुमराह , तभी कष्टों को सहते
वरना ये मजदूर , नहीं कम मेहनत करते
************
करते जब काम सभी अपने तब कौन कहो मजदूर नहीं यहाँ
मत दान करो उस को जग में दिखता जन जो मजबूर नहीं यहाँ
जब जीत हँसे कदमों पर आ तब हो मद में तुम चूर नहीं यहाँ
श्रम की जब कीमत जान गए तब मंज़िल से तुम दूर नहीं यहाँ
डॉ अर्चना गुप्ता