मजदूर की रोटी
मजदूर करते हैं मजदूरी
एक कनिष्ठ सी दिलासा
अपने मानस में बांध के
आज की रोटी मिल जाए
हमें किसी भी आचरण से
इसके लिए वो आतप में
पसीने बहाते रहते हैं सदा
मजदूरी ही है इनकी रोटी ।
कभी-कभी किसी सबब से
न कर पाते हैं कृत्य, करम
चौमासा , कड़ी घाम आदि
इन सब प्रयोजनों से तो
वो और उनके नन्हें लाल
संग-संग उनकी कामनी को
क्षुधालु कुक्ष ही सोना पड़ता
मजदूरी ही है इनकी रोटी ।
अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार