Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
4 Jul 2022 · 1 min read

मजदूर- ए- औरत

आजकल के इस दौड़ में
औरते भी करती मजदूरी
मजदूर मर्दों की विभांति
जाके देखिये कई गांवों में
कई महिलाओं के वल्लभ
न है या अस्वस्थ, मद्यपी हैं
वह अपने और स्वजन हेतु
करते रहते हैं मजदूरी यहां।

ऐसी महिलाएं क्या करेगी ?
मजदूरी ही न करेगी अंततः
और क्या कर सकती है ?
क्या यह एसो आरामों में
रह सकती इस भूमि पर ?
मजदूरी ही रोटी है इनकी
यही हाल मजदूर नारी की ।

अमरेश कुमार वर्मा
जवाहर नवोदय विद्यालय बेगूसराय, बिहार

Language: Hindi
1 Like · 380 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
इंसान की इंसानियत मर चुकी आज है
इंसान की इंसानियत मर चुकी आज है
प्रेमदास वसु सुरेखा
चलो♥️
चलो♥️
Srishty Bansal
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
अपने-अपने संस्कार
अपने-अपने संस्कार
Dr. Pradeep Kumar Sharma
"मन बावरा"
Dr. Kishan tandon kranti
रेत और रेगिस्तान के अर्थ होते हैं।
रेत और रेगिस्तान के अर्थ होते हैं।
Neeraj Agarwal
सत्य की खोज अधूरी है
सत्य की खोज अधूरी है
VINOD CHAUHAN
“बारिश और ग़रीब की झोपड़ी”
“बारिश और ग़रीब की झोपड़ी”
Neeraj kumar Soni
**कब से बंद पड़ी है गली दुकान की**
**कब से बंद पड़ी है गली दुकान की**
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
عظمت رسول کی
عظمت رسول کی
अरशद रसूल बदायूंनी
नन्ही भिखारन!
नन्ही भिखारन!
कविता झा ‘गीत’
महाकाल महिमा
महाकाल महिमा
Neeraj Mishra " नीर "
🙅एक उपाय🙅
🙅एक उपाय🙅
*प्रणय*
राखी पर्व
राखी पर्व
राधेश्याम "रागी"
मत जलाओ तुम दुबारा रक्त की चिंगारिया।
मत जलाओ तुम दुबारा रक्त की चिंगारिया।
Sanjay ' शून्य'
*हम बच्चे हिंदुस्तान के { बालगीतिका }*
*हम बच्चे हिंदुस्तान के { बालगीतिका }*
Ravi Prakash
3384⚘ *पूर्णिका* ⚘
3384⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
प्रथम किरण नव वर्ष की।
प्रथम किरण नव वर्ष की।
Vedha Singh
अपनी मिट्टी की खुशबू
अपनी मिट्टी की खुशबू
Namita Gupta
मांओं को
मांओं को
Shweta Soni
निर्मम बारिश ने किया,
निर्मम बारिश ने किया,
sushil sarna
कुछ रिश्ते भी बंजर ज़मीन की तरह हो जाते है
कुछ रिश्ते भी बंजर ज़मीन की तरह हो जाते है
पूर्वार्थ
कभी तो ये शाम, कुछ यूँ गुनगुनाये, कि उसे पता हो, इस बार वो शब् से मिल पाए।
कभी तो ये शाम, कुछ यूँ गुनगुनाये, कि उसे पता हो, इस बार वो शब् से मिल पाए।
Manisha Manjari
ज़िन्दगी एक बार मिलती हैं, लिख दें अपने मन के अल्फाज़
ज़िन्दगी एक बार मिलती हैं, लिख दें अपने मन के अल्फाज़
Lokesh Sharma
अन्तर्मन
अन्तर्मन
Dr. Upasana Pandey
ज़माना इतना बुरा कभी नहीं था
ज़माना इतना बुरा कभी नहीं था
shabina. Naaz
जब कैमरे काले हुआ करते थे तो लोगो के हृदय पवित्र हुआ करते थे
जब कैमरे काले हुआ करते थे तो लोगो के हृदय पवित्र हुआ करते थे
Rj Anand Prajapati
प्रतीक्षा
प्रतीक्षा
surenderpal vaidya
बुंदेली हास्य मुकरियां
बुंदेली हास्य मुकरियां
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
सकारात्मक सोच
सकारात्मक सोच
Dr fauzia Naseem shad
Loading...