Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Dec 2017 · 2 min read

मगर मेरे भाई न शादी रचाना….

मगर मेरे भाई न शादी रचाना.

अगर तुमको आये न खाना पकाना
पड़े भूख से आये दिन बिलबिलाना
बटन चेन गायब कभी मत लजाना
सो बेचारगी में पड़े पिनपिनाना
भले भाभियाँ मार दें रोज ताना
मगर मेरे भाई न शादी रचाना.

खुले माल भर-भर के डब्बा मिलेगें
व खाला व मामू के अब्बा मिलेगें
सने चाशनी में मुरब्बा मिलेगें
बचे गर यहाँ तो ही रब्बा मिलेगें
अगर जाल फेकें तो बचना बचाना
मगर मेरे भाई न शादी रचाना

यहाँ चार दिन तक लुभाती है ब्यूटी
सभी फँस के जिसमें बजाते हैं ड्यूटी
फँसा जो भी इसमें गयी जेब लूटी
उड़े सारे तोते बची खाट टूटी
डबलबेड पे खुद को अकेले सुलाना
मगर मेरे भाई न शादी रचाना

ये शादी निकाहों का चक्कर बुरा है
बना देगा आदी नशीली सुरा है
घरैतिन के नयनों में तीखा छुरा है
करे जख्म गहरा लगे मुरमुरा है
कहे दूर रहना न सटना-सटाना
मगर मेरे भाई न शादी रचाना

अगर कर ली शादी तो ताने सहोगे
सतायेगी बीवी सो तन्हा रहोगे
या मझधार में जब तड़पकर बहोगे
है खुद पे जो गुजरी वो किससे कहोगे
भले मॉल, होटल में खुद को लुटाना
मगर मेरे भाई न शादी रचाना

जो घर आ जमेगें ये ससुरालवाले
ये बीबी करेगी उन्हीं के हवाले
ससुर-सास कूटें धमाधम निराले
लुभाएगी साली कचोटेगें साले
भले बन के फिरकी स्वयं को नचाना
मगर मेरे भाई न शादी रचाना

दहेजी, गुजारा, तुम्हें ही छलेगा
जो हिंसा-घरेलू मुकदमा चलेगा
तो क़ानून तुमको गरम कर तलेगा
उसी की सुनेगा तुम्हें ये खलेगा
भले लिव रिलेशन में खुद को फँसाना
मगर मेरे भाई न शादी रचाना

घरैतिन जो मारे घरैतिन से भागे
तो क़ानून पीछे से बन्दूक दागे.
खुले आँख आखिर वकीलों के आगे
रहो संतुलित तुम बुरा गर जो लागे
भले जा कचेहरी में कचरा उठाना
मगर मेरे भाई न शादी रचाना

फँसा दे जो बीबी जमानत के लाले
यहाँ किसकी ताकत जो कुनबा छुड़ा ले
कहे जेल भेजो ये मुल्जिम हैं साले
अदालत पुलिस सब हैं ससुराल वाले
मिलें लड़कियां गर बहनजी बनाना
मगर मेरे भाई न शादी रचाना

है क़ानून जगता पुलिस सो रही है
ये फर्जी मुकदमें बहुत बो रही है
सो पुरुषों पे हिंसा बहुत हो रही है
अभी जांच कर लें कहा जो सही है
भले हित में पुरुषों के क़ानून लाना
मगर मेरे भाई न शादी रचाना

करो काम हाथों ये कहता ज़माना
व मस्ती में कसरत व छाती फुलाना
न लड़की पटाना न चक्कर चलाना
मिले अक्ल से जो वही खाना खाना
भले तीखी मिर्ची करेला चबाना
मगर मेरे भाई न शादी रचाना

–इंजी० अम्बरीष श्रीवास्तव ‘अम्बर’

Language: Hindi
514 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*
*"माँ कात्यायनी'*
Shashi kala vyas
मैं जी रहा हूँ जिंदगी, ऐ वतन तेरे लिए
मैं जी रहा हूँ जिंदगी, ऐ वतन तेरे लिए
gurudeenverma198
सुहागन का शव
सुहागन का शव
Anil "Aadarsh"
क्या हो, अगर कोई साथी न हो?
क्या हो, अगर कोई साथी न हो?
Vansh Agarwal
साँवलें रंग में सादगी समेटे,
साँवलें रंग में सादगी समेटे,
ओसमणी साहू 'ओश'
अंदाज़े बयाँ
अंदाज़े बयाँ
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आखिरी वक्त में
आखिरी वक्त में
Harminder Kaur
मुकद्दर तेरा मेरा
मुकद्दर तेरा मेरा
VINOD CHAUHAN
आस्था होने लगी अंधी है
आस्था होने लगी अंधी है
पूर्वार्थ
मेरा ब्लॉग अपडेट दिनांक 2 अक्टूबर 2023
मेरा ब्लॉग अपडेट दिनांक 2 अक्टूबर 2023
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
जरूरी है
जरूरी है
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
न कहर ना जहर ना शहर ना ठहर
न कहर ना जहर ना शहर ना ठहर
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
संसद बनी पागलखाना
संसद बनी पागलखाना
Shekhar Chandra Mitra
मालिक मेरे करना सहारा ।
मालिक मेरे करना सहारा ।
Buddha Prakash
तन के लोभी सब यहाँ, मन का मिला न मीत ।
तन के लोभी सब यहाँ, मन का मिला न मीत ।
sushil sarna
जीवन
जीवन
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
*दही सदा से है सही, रखता ठीक दिमाग (कुंडलिया)*
*दही सदा से है सही, रखता ठीक दिमाग (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
जीवन का सफर
जीवन का सफर
नवीन जोशी 'नवल'
■ आज का विचार...
■ आज का विचार...
*Author प्रणय प्रभात*
कर्जा
कर्जा
RAKESH RAKESH
वैशाख का महीना
वैशाख का महीना
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
क्यों पड़ी है गांठ, आओ खोल दें।
क्यों पड़ी है गांठ, आओ खोल दें।
surenderpal vaidya
23/132.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/132.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरी हस्ती
मेरी हस्ती
Shyam Sundar Subramanian
इस दुनिया में कोई भी मजबूर नहीं होता बस अपने आदतों से बाज़ आ
इस दुनिया में कोई भी मजबूर नहीं होता बस अपने आदतों से बाज़ आ
Rj Anand Prajapati
जो भी आते हैं वो बस तोड़ के चल देते हैं
जो भी आते हैं वो बस तोड़ के चल देते हैं
अंसार एटवी
*** आकांक्षा : एक पल्लवित मन...! ***
*** आकांक्षा : एक पल्लवित मन...! ***
VEDANTA PATEL
आप जब खुद को
आप जब खुद को
Dr fauzia Naseem shad
देखिए अगर आज मंहगाई का ओलंपिक हो तो
देखिए अगर आज मंहगाई का ओलंपिक हो तो
शेखर सिंह
श्री राम का जीवन– गीत
श्री राम का जीवन– गीत
Abhishek Soni
Loading...