मईया कि महिमा
मईया कि महिमा
मईया तेरी महिमा कैसे गाँऊ मैं तो बालक नादान ।।
माईया को मन मे कैसे बसाऊं माईया कि भक्ति ही मेरी शक्ति।।
माईया को कैसे रिझाऊ माईया जग जननी माईया को घर अंगना कैसे मैं बुलाऊँ ।।
माईया मैं अधम मानव स्वार्थ प्रीति मेरा संस्कार माईया को कैसे मैं बताऊँ ।।
माईया भक्त वत्सल करती क्षमा सारे अपराध ।।
माईया तेरा रूप भावे माईया तेरा अद्भुत श्रृंगार ।।
माईया तेरी महिमा कैसे गाँऊ हम तो है बालक नादान ।।
मईया क्या मैं भोग लगाऊं धन बैभव तू ही धन धान्य।।
माईया तेरे चरणों मेरा निर्मल निश्चल भाव भोग समर्पण तेरा ध्यान।।
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर गोरखपुर उत्तर प्रदेश।।