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7 Jan 2024 · 1 min read

आँखें बतलातीं सदा ,मन की सच्ची बात ( कुंडलिया )

आँखें बतलातीं सदा ,मन की सच्ची बात ( कुंडलिया )
______________________________
आँखें बतलातीं सदा ,मन की सच्ची बात
जिह्वा शातिर है बड़ी ,दिन को कहती रात
दिन को कहती रात ,झूठ का जाल बिछाती
आँख बोलती सत्य , नहीं धोखा दे पाती
कहते रवि कविराय , मौन हैं लेकिन गातीं
आँखों में लो झाँक ,राज आँखें बतलातीं
——————-
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

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