मंदिर में दूध चढ़ाना न, पाप नहीं था
इंसानियत के फ़र्ज़ को कैसे भुला दिया ?
बेबस था वो बच्चा उसे तुमने रुला दिया ।
मंदिर में दूध चढ़ाना न, पाप नहीं था,
है पाप जो गरीब को भूखा सुला दिया ।
– सुरेश कुमार ‘सौरभ’
इंसानियत के फ़र्ज़ को कैसे भुला दिया ?
बेबस था वो बच्चा उसे तुमने रुला दिया ।
मंदिर में दूध चढ़ाना न, पाप नहीं था,
है पाप जो गरीब को भूखा सुला दिया ।
– सुरेश कुमार ‘सौरभ’