*मंत्री जी भी कभी किसी दिन, ई-रिक्शा पर बैठें तो (हिंदी गजल-
मंत्री जी भी कभी किसी दिन, ई-रिक्शा पर बैठें तो (हिंदी गजल-हास्य)
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1)
मरने वाले से नजदीकी, हद से ज्यादा गाते हैं
लंबी-लंबी फेंक रहे कुछ, करतब यों दिखलाते हैं
2)
मंत्री जी भी कभी किसी दिन, ई-रिक्शा पर बैठें तो
पता चले उनको गतिरोधक, कितना दुख पहुॅंचाते हैं
3)
भीड़ जुटी जब नेताओं के, आने पर श्रोताओं की
हमने पूछा उनसे कितने, रुपए लेकर आते हैं
4)
शायद कोई पद मिल जाए, बैठे-बैठे खाने को
चिंतन का कुछ ओढ़ लबादा, सत्ता-दल में जाते हैं
5)
बहुत बड़ा बदलाव सभी की, आदत में यह आया है
रिश्वत छुप कर खाते थे जो, रिश्वत खुलकर खाते हैं
6)
जाने कैसे पतझड़ वाले, मौसम आए बस्ती में
थाने और कचहरी के ही, चक्कर लोग लगाते हैं
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गतिरोधक = सड़कों पर लगे हुए स्पीड ब्रेकर
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99 97615 451