*मंजिल*
जिंदगी के चौराहे को पार करोगे ।
एक नया मोड़ इंतजार कर रहा होगा।।
तुम सोचते हो मंजिल अब मिलेगी।
मगर मंजिल के मिलते ही नए रास्ते खुल जायेंगे।
जिसे मंजिल समझ रखा है वो मंजिल कहां है।
अगर मंजिल वो होती खुश होके वहीं रह जाते।
जिसे मंजिल समझ रखा है वो एक भूल है।
असल में है वो एक पड़ाव जहां से फिर आगे बढ़ना है।
आगे की बाते भले ही कड़ुई है मगर सच है।
मंजिल तो मोक्ष है जहां पहुंच कर और कोई चाह नहीं बचती।।
✍️ प्रियंक उपाध्याय