मंजिल ढूँढता हूँ
होकर सफर का हमराही मंजिल ढूँढता हूँ
मिले दिल को सुकून ऐसा संगदिल ढूँढता हूँ
बातों में हो साँसों में दिल के जज़्बातों में हो
दूरियों में भी पास हो ऐसा स्वप्निल ढूँढता हूँ
चाह नहीं उस चाहत की जो होकर भी ना हो
अचेत से मन को जगा दे ऐसा कामिल ढूँढता हूँ
शब्दों का नहीं भावों के एहसास भी जो पढ़ सके
एहसास में छिपे प्यार का मैं मुक़ाबिल ढूंढता हूँ
गम में छिपे आँसू को आँसू में छिपे गम को समझे
कोमल हो जिसका हृदय ऐसा सनम दिल ढूँढता हूँ
अधरों पे जो मुस्कान लाए मधुर एहसास हो तुझमे
साँसों में वो सुकून हो सुनके ऐसा साहिल ढूँढता हूँ
ख्वाब बनके जो हर पल दिल के एहसासों में हो
मुस्कान आये सोंच के लबों पे ऐसा वासिल ढूँढता हूँ
ममता रानी
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