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12 May 2024 · 1 min read

मंजिल की चाह

ये मंजिल को चाह है सताती बहुत है
रुलाती बहुत है रुलाती बहुत है

मिलेगी न चाहत, मिलेगी नसीहत
करता है मेहनत तू करता जा बंदे
अभी तेरी मंजिल में दूरी बहुत है
न हारे न बैठे, ये मंजिल की चाह
सताती बहुत है।

तू चक्कर है, चक्कर में है तेरे जमाना
तुझे पाकर है सबको दिखाना
घुमा हु राह में चक्कर खाकर,
अब बोलो किसे न है पाना
ये मंजिल की चाह है सताती बहुत है।

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