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30 Jun 2022 · 1 min read

मंज़िल

हर मंज़िल दस्तक देती है
पुरुषार्थ की उत्तम रेखा पर।
तकदीर स्वयं बदलती है
सत्कर्मों की अभीलेखा पर।
नहीं शेर कभी ढूंढ़ा करते
पदचिन्हों में अपने पथ को।
जांबाज़ नहीं मांगा करते
कभी किसी की रहमत को
✍️✍️रश्मि गुप्ता @@ Ray’s Gupta

Language: Hindi
3 Likes · 3 Comments · 308 Views

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