मंज़िल
हर मंज़िल दस्तक देती है
पुरुषार्थ की उत्तम रेखा पर।
तकदीर स्वयं बदलती है
सत्कर्मों की अभीलेखा पर।
नहीं शेर कभी ढूंढ़ा करते
पदचिन्हों में अपने पथ को।
जांबाज़ नहीं मांगा करते
कभी किसी की रहमत को
✍️✍️रश्मि गुप्ता @@ Ray’s Gupta
हर मंज़िल दस्तक देती है
पुरुषार्थ की उत्तम रेखा पर।
तकदीर स्वयं बदलती है
सत्कर्मों की अभीलेखा पर।
नहीं शेर कभी ढूंढ़ा करते
पदचिन्हों में अपने पथ को।
जांबाज़ नहीं मांगा करते
कभी किसी की रहमत को
✍️✍️रश्मि गुप्ता @@ Ray’s Gupta