भ्राता हो तुझ सा बलराम…
भ्राता हो तुझ सा बलराम…
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सप्तमपुत्र देवकी नंदन ,
रोहिणी सुत बल असुरनिकंदन ।
सुभद्रा कृष्ण संग बसे पूरी धाम ,
भ्राता हो तुझ सा बलराम ।
शेषावतार कहें या संकर्षण ,
पृथ्वी का तुम हो आकर्षण ।
दाऊ हो तुम नयनाभिराम ,
भ्राता हो तुझ सा बलराम ।
जगत प्रतिपालक के अग्रज हो तुम ,
त्रेता में अनुज लक्षमण बन गए।
द्वापर में अग्रज घनश्याम ,
भ्राता हो तुझ सा बलराम ।
नारायण के अष्टम अवतार ,
शेषनाग पर ही भू विस्तार ।
हलधर तेरे विविध आयाम ,
करते हैं तुझको शत् शत् प्रणाम ।
भ्राता हो तुझ सा बलराम…
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – ०३ /०१/२०२३
पौष,शुक्ल पक्ष,द्वादशी, मंगलवार
विक्रम संवत २०७९
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