*भ्राता (कुंडलिया)*
भ्राता (कुंडलिया)
भ्राता मिलता फिर नहीं, रोकर बोले राम
इस पावन संबंध को, जानो सुख का धाम
जानो सुख का धाम, लक्षमण मूर्छित पाए
बोले करो उपाय, भक्त हनुमंत बुलाए
कहते रवि कविराय, मर्म को छूता नाता
जगते बीती रात, गोद में लेकर भ्राता
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 99976 15451