भ्रष्ट नेताजी
मंत्री जी के गाड़ी पे,
उनके बीबी के साड़ी पे,
हर दिन हर महिने में,
वो लाखों के खर्चे जो आते हैं।
कोई मंत्री से पूछे तो सही,
वे इतने रूपये कहाॅं से लाते हैं।
जब चाचा चुनाव में आते हैं,
अरबों की रकम लूटाते हैं।
इस बार सरकार विकाश करेंगे,
ये कुछ वादे सुना के जाते हैं।
फिर विलुप्त पंछी के जैसे,
वे न जाने गायब कहाॅं हो जाते हैं।
एक बार सत्ता में आने पर,
सातों पुश्त बैठ के खाते हैं।
ऐसे ही चलते रहेंगे,
जब तक जनता में चेतन न होगा।
मेरा गारंटी हैं; जितना चुनाव में लूटाते हैं,
उतना उनके खानदान का भी वेतन न होगा।
हमें दुश्मन के जरूरत क्या,
यहाॅं पे चारों तरफ़ से दानव हैं।
यहाॅं मानव के हाल ये है कि,
मानव के वक्ष पे मानव हैं।
सब तरफ़ से खतरा मंडरा रहें,
मुसीबत के बादल छा रहें ,
मानवता, विश्वास लग रहें
इस धरती से जा रहें,
क्यों हर तरफ़ अंधकार छा रहें?
क्यों लगता, कलयुग के रावण आ रहें ?
क्यों नेताजी,अब वोट के खातिर,
फिर से जाति, धर्म का आड़ नहीं लेते।
क्या भाई इतने पैसे खाकर भी डकार नहीं लेते।
आदित्य राज,
जवाहर नवोदय
विद्यालय, खगड़िया
(बिहार)