Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Oct 2024 · 3 min read

*भ्रष्टाचार की पाठशाला (हास्य-व्यंग्य)*

भ्रष्टाचार की पाठशाला (हास्य-व्यंग्य)
_________________________
कितने दुख की बात है कि लोग कुर्सी पर बैठकर दस-बारह हजार रुपए की मामूली रिश्वत लेते हुए पकड़े जाते हैं। पूरा विभाग बदनाम होता है। कुर्सी शर्म से झुक जाती है। अखबारों के माध्यम से सब तरफ यह समाचार फैल जाता है कि वातावरण रिश्वतखोरी से भरा हुआ है।

अगर गहराई में जाया जाए तो यह कुछ नासमझ, नौसिखिया और बेवकूफ टाइप लोगों की गलती से होता है। उन्हें भ्रष्टाचार का आचार नहीं आता। हर क्षेत्र में आचार-व्यवहार बहुत मायने रखता है। इसे सीखना पड़ता है।

प्रशिक्षण लेना पड़े, तो भी लो। जो लोग इस क्षेत्र में दसियों-बीसियों वर्षों से कार्यरत हैं, उनके अनुभव का लाभ लो। चारों तरफ नजर दौड़ाओ। लोग करोड़ों रुपए खाकर बैठ गए और मजाल क्या कि उनकी मूॅंछों पर जरा-सी भी गंदगी कभी चिपकी हो। ऐसे हॅंसते-मुस्कुराते हैं कि जैसे चेहरे को दूध से धोकर घर से निकलते हों ।आदमी रिश्वत खाना तो कोई इनसे सीखे।

रिश्वत खाने का मूल मंत्र यह है कि कुछ नियम बनाकर चलो। जैसे ऊॅंचे पदों पर बैठे लोग निन्यानवे लाख रूपयों तक की रिश्वत नहीं खाते। उनकी रिश्वत एक करोड़ रुपए से शुरू होती है। उनके बारे में जनसाधारण से कितना भी पूछो, वह यही कहेंगे कि साहब बहुत ईमानदार हैं। जनसाधारण भला निन्यानवे लाख रुपये से ज्यादा की रिश्वत क्यों देने लगेगा ? अतः साहब की छवि हमेशा बेदाग बनी रहती है। रिश्वत की आमदनी तो कम जरूर होती है, लेकिन आदमी बदनाम नहीं होता।
जो लोग छोटी-छोटी रकम को भी हाथ से जाने नहीं देते, वह सड़क चलते हुए भी रिश्वतखोर के रूप में बदनाम हो जाते हैं। उनके पकड़े जाने के चांस भी ज्यादा होते हैं।

बड़े लोग प्रायः इस बात का दावा करते हैं कि उन्होंने अपने जीवन में रिश्वत का एक पैसा भी नहीं छुआ। उनकी बात सोलह आने सच होती है। वे लोग वास्तव में कभी भी अपने हाथ से रिश्वत नहीं लेते। उनका सचिव रिश्वत लेता है। सचिव का बाबू रिश्वत लेता है। बाबू का चपरासी रिश्वत लेता है। लेकिन साहब कभी भी अपने हाथ से रिश्वत नहीं लेते। अब आप ही बताइए, जो आदमी इतना सजग होकर रिश्वत लेता हो; वह भला रॅंगे हाथों कभी पकड़ा जा सकता है ?

नियम तो यह है कि सभी व्यक्तियों को सजग होकर रिश्वत लेना चाहिए। अन्यथा बदनाम होते देर नहीं लगेगी। वैसे भ्रष्टाचार का एक अर्थशास्त्र यह भी है कि अब आजकल रॅंगे हाथों पकड़े जाने पर भी किसी की छवि खराब नहीं होती। एक कुर्सी पर बैठा हुआ व्यक्ति अगर पकड़ा जाता है, तो उसी जैसी सौ कुर्सियों पर बैठे हुए व्यक्ति उसके हित की चिंता करने लगते हैं। उसे कैसे बचाया जाए ? गोपनीय मीटिंग बैठती है। हर जिले और तहसील में समान पद पर समान रूप से भ्रष्टाचार करने वाले लोग मौजूद होते हैं। वे जानते हैं कि हमाम में सब नंगे होते हैं। उनको मालूम है कि रिश्वत खाना कोई बुरी बात नहीं होती। यह तो सब चलता है। बस बुरी बात यह है कि पकड़े गए। भ्रष्टाचार करते हुए पकड़े जाना एकमात्र समस्या है।

कई नवयुवक अपने वैवाहिक परिचय में आजकल यह बात खुलकर लिखने लगे हैं कि उनकी भ्रष्टाचार के कारण कितनी आमदनी होती है। इससे उनका ऊॅंचा स्तर प्रकट होता है। नंबर एक की आमदनी से रिश्वत की आमदनी का महत्व कहीं ज्यादा है। जितनी ज्यादा भ्रष्टाचार की आमदनी होगी, दहेज का रेट भी उतना ही ज्यादा हो जाएगा। यहॉं पर भी पकड़े जाने वाली बात का महत्व है। अगर कोई नवयुवक रिश्वत लेते हुए पकड़ा जा चुका है, तब उसका तात्कालिक बाजार-भाव एकदम नीचे चला जाएगा। कारण यह नहीं है कि वह रिश्वत लेता है; कारण यह है कि उसे रिश्वत लेना नहीं आता। भाई ! अगर रिश्वत लेना नहीं आता तो रिश्वत लेने से पहले किसी पाठशाला में जाकर सीखो।
————————————–
लेखक : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

43 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

मनमुटावका आपका ये कैसा अंदाज
मनमुटावका आपका ये कैसा अंदाज
RAMESH SHARMA
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
ओ! महानगर
ओ! महानगर
Punam Pande
धड़कनों में प्यार का संचार है ।
धड़कनों में प्यार का संचार है ।
Jyoti Shrivastava(ज्योटी श्रीवास्तव)
"अजीब दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
बस जाओ मेरे मन में , स्वामी होकर हे गिरधारी
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
रमेशराज के समसामयिक गीत
रमेशराज के समसामयिक गीत
कवि रमेशराज
*पत्थरों  के  शहर  में  कच्चे मकान  कौन  रखता  है....*
*पत्थरों के शहर में कच्चे मकान कौन रखता है....*
Rituraj shivem verma
😘
😘
*प्रणय*
बदलते रिश्ते
बदलते रिश्ते
Ashwani Kumar Jaiswal
विकास
विकास
Shailendra Aseem
तकलीफ ना होगी मरने मे
तकलीफ ना होगी मरने मे
Anil chobisa
*होली*
*होली*
Dr. Vaishali Verma
"शब्दों से बयां नहीं कर सकता मैं ll
पूर्वार्थ
प्यार की कलियुगी परिभाषा
प्यार की कलियुगी परिभाषा
Mamta Singh Devaa
कृष्ण मुरारी आओ
कृष्ण मुरारी आओ
ओम प्रकाश श्रीवास्तव
#justareminderdrarunkumarshastri
#justareminderdrarunkumarshastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
संसार मेरे सपनों का
संसार मेरे सपनों का
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
कई बार सोचती हूँ ,
कई बार सोचती हूँ ,
Manisha Wandhare
4750.*पूर्णिका*
4750.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
एक उदासी
एक उदासी
Shweta Soni
सात पात बिछाए मौजा
सात पात बिछाए मौजा
Madhuri mahakash
अंग्रेजों के बनाये कानून खत्म
अंग्रेजों के बनाये कानून खत्म
Shankar N aanjna
।।दुख और करुणा।।
।।दुख और करुणा।।
Priyank Upadhyay
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
Leading Pigment Distributors in India | Quality Pigments for Every Industry
Leading Pigment Distributors in India | Quality Pigments for Every Industry
Bansaltrading Company
अगर प्यार तुम हमसे करोगे
अगर प्यार तुम हमसे करोगे
gurudeenverma198
परिवार सबसे बड़ा खजाना है
परिवार सबसे बड़ा खजाना है
संतोष बरमैया जय
जब लोग उन्हें मार नहीं पाते हैं
जब लोग उन्हें मार नहीं पाते हैं
Sonam Puneet Dubey
नज़्म
नज़्म
Neelofar Khan
Loading...