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21 Jan 2022 · 1 min read

भौरा

कुण्डलिया छंद

भौरा

भौरा आया बाग में, कलियां करती लाज।
गीत सुनावे नाच के, मन वीणा के साज।।
मन वीणा के साज ,मधुप नेआंख लड़ाई।
पी सारा मकरंद,हृदय की प्यास बुझाई।।
छल कर उस ने फूल, विषाद भरा अति घोरा।
उड़ा नील आकाश, फूल को तज के भौरा।।

ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश

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