पहला प्यार सबक दे गया
” पहला प्यार सबक सीखा गया ”
माँ वो मेरी जिंदगी है माँ, मैं उससे बहुत प्यार करता हूँ । अगर वो मुझे ना मिली तो मैं मर जाऊंगा माँ । ये कहते हुवे अविनाश अपने सर को दीवार से टकराने लगा।
बेटा तूने ये अपना क्या हाल बना रखा है।पूरे कमरे से शराब और धुएँ की महक आ रही है। तू समझता क्यों नही ये बड़े घर के लोग है किसी से दिल लगा के छोड़ देना इनकी फितरत में होता है।देख तू अपना जीवन बर्बाद मत कर । तू उसे देख रहा है अपनी माँ को नही जिसने तुझे इतनी गरीबी में पाल पोस के बड़ा किया इस लायक किया की अब तू मेरा सहारा बने।अब मेरा एक तू ही सहारा है।जैसे तैसे तेरे पापा के गुजर जाने के बाद मैने तुझे कभी उनकी कमी महसूस नहीं होने दी।क्या तेरा अपनी माँ के लिए कोई कर्तव्य नही।अगर नही तो जा मैं तुझे कुछ नही कहूंगी । अगर वो लड़की मुझे मिलेगी तो अब भी मैं तेरे लिए उससे तेरे प्यार की भीख मांगने को तैयार हूं।मैं बस मेरे बेटे को खुश देखना चाहती हूं।
मां का कहा एक एक शब्द ने अविनाश के दिमाग पर हथौड़ा मार रहा था ।
नही माँ ऐसा मत बोल मैं थोड़ी देर के लिए स्वार्थी हो गया था ।तूने मेरी आंखे खोल दी माँ ।मैं उस लड़की को अपना पहला प्यार समझ रहा था जिसने मेरी गरीबी को देख मुंह मोड़ लिया।और तेरे नि:स्वार्थ प्यार को भूल गया ।मुझे माफ कर दे माँ ।मैं दुनिया की सारी खुशियां तेरे चरणों में ला के रख दूंगा पर फिर कभी उस लड़की का नाम नहीं लूंगा।
माँ-बेटे दोनो अश्रु धारा में भीगे जा रहे थे।अविनाश मां के चरणों में था और माँ खुश थी की बेटे को अपनी भूल समझ आ गई थी।पहला प्यार उसे सबक दे गया था।
© ठाकुर प्रतापसिंह राणा
सनावद (मध्यप्रदेश)