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9 Jan 2023 · 1 min read

भोले

भोले
🦚
जटाओं की‌ लटाओं में बसी‌ है गंग की धारा,
मली है भस्म पूरे तन दिगम्बर रूप है प्यारा ,
भाल पर चंद्रमा दमके गले फुंकारता विषधर ,
हमारे नाथ शंकर ने निराला रूप है धारा ।
*
महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा ।
***
🌳🌳🌳

Language: Hindi
92 Views
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