भोर
भोर
शीतल बयार और खिली खिली धूप की आहट!
नीरवता भंग करती हुई पक्षियों की चहचहाट!
निकल पड़े हैं सभी जब स्वच्छंद आकाश में!
उठ प्राणी क्यों लीन है अभी तक निद्रा में!
नई उमंगों और नई तरंगों का संचार होने वाला है!
खिल रही है धूप और अंधकार छटने वाला है!
वातावरण गुंजायमान है पक्षियों के कोलाहल से!
बन साक्षी इस छटा का अब समय गुजरने वाला है!
संजय श्रीवास्तव
बालाघाट (म प्र)
16।03।2022