भोर में योग
बीती रात समय बेला है, जाग उठो सब जागन हारे,
भानु उदय होने वाला है, छिप गये सब चाँदऔर तारे।।
नींद मे जो तू पड़ा रहेगा, दिव्य सपन तुझे घेरेंगे,
कामकाज तेरे ठप पड़ेंगे, काया में रोग बसंगे ।
रोगी काया जल्दी बूढी, दुबली पतली हो संतान,
जैसा बीज पड़े खेतों में, वैसे काटे फसल किसान ।।
वेदों संतों की शिक्षा है, सुबह समय अमृत बेला,
मधुर सुहानी शीतल वायु, ना कोलाहल का मेला।।
अपना नित तू नियम बना ले, भोर भई में जगना है।
योगा से तू योग बनाले, मन सदाचार में लगना है।।
मन तेरा जब शुद्ध बनेगा, योग लगे प्रभु से फिर तेरा।
स्वस्थ बने काया माया से, घर में लक्ष्मी का डेरा।।
मैं मेरी का मोह कटेगा, संग चौरासी कट जाएगी ।
द्वैत राग सब रोग कटेंगे, देह निरोगी बन जाएगी ।
सुख चैन की बंसी बाजे, सब कारज उपकारी होंगे।
जिस चेहरे को झांक के देखे, उसके दर्शन साकारी होंगे ।।