भोर का सपना
भोर का सपना
भोर में
सपना आया
सपने में था
जातिविहीन समाज
भ्रष्टाचार मुक्त
शासन-प्रशासन
चिकित्सा-शिक्षा व
रोजगार के
समान अवसर
वर्ग व वर्ण विहीन समाज
महिला-पुरुष सभी को
समान अवसर
हर तरफ अमन चैन
हंसी-खुशी
उल्लास व्याप्त
महक रहा था छोर-छोर
चहक रहा था कोर-कोर
तभी खुली आँख
वो तो सपना था
हकिकत तो थी
वही भयावह
-विनोद सिल्ला©