भैया दूज
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कार्तिक शुक्ल पक्ष की जब बेला आई
भाई बहन पावन पर्व भैया दूज है लाई
भाइयों की खुशहाली दीर्घायु के लिए
बहने मस्तक पर तिलक लगाने आई
सूर्य नारायण और छाया की दो संताने
यमुना बहन का यमराज था प्यारा भाई
यमराज प्राणियों के प्राण हरने वाला
यमुना का न्यौता पा मुख रौनक छाई
यमराज को निलय में आया देख कर
बहना यमुना की आँखें फूली न समाई
बहन भाई के पावन रिश्ते की प्रेमडोरी
तब से अब तक पथ पर है चलती आई
यम,चित्रगुप्त,यमदूत की उपासना कर
बहने भाई हेतु मांगती समृद्धि,भलाई
रोली,मोली,अक्षत से थाली सजा कर
घी चावल से टीका कर खिलाएं मिठाई
मनसीरत बहनों को है उपहार स्वरूप
देता उम्र भर रक्षा वचन की नेक दुहाई
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)