“”भेदभाव न रहे किसी में””
बेटे पढ़े और बेटी पढ़े ,देश मेरा सदा आगे बढ़े।
भेदभाव न रहे किसी में, कोई किसी से नहीं लड़े।
सृजन नया सब करते जाएं ,कर्म सामने जो भी आए।
मन मस्तिक की गहराई में, नए-नए सब स्वप्न गढ़े।।
तेरा है न मेरा है ,देश हमारा सबका है।
बहकावे में आकर किसी के, धर्म पंथ पर न झगड़े।।
लक्ष्य बना लो मन में अपने ,मंजिल भी मिल जाएगी।
जुनून ही तो देता सब कुछ, नशा लक्ष्य का ऐसा चढ़े।।
अवगुण अपने दूर करें, गुण ओरो के अपना लें।
सदराहों पर चले हमेशा, कुपंथ कभी भी न पकड़े।।
राजेश व्यास अनुनय