“भूल जाते हैं”
जिनके बल पर वो सरकार बनाते हैं
चुनाव जीतते ही उनको भूल जाते हैं।
वादा करना ख्वाब दिखाना उनके पैंतरे है
लोग बहुत ही सीधे हैं झांसे में आ जाते हैं।
वो पंचसितारा होटलों में दावत उड़ाते हैं
ये रोटी की आस में भूखे सो जाते हैं।
घुटनों के बल जो चलकर आते थे कभी
फर्राटा भर कर सामने से निकल जाते है।
सुख दुःख का ख्याल झांसा था उनका
काम होते ही साहब गायब हो जाते है।
खिलाफ जिनके आग उगलते हैं जीत को
कुर्सी की खातिर उन्हीं से हाथ मिलाते हैं।
लोग बगावत करके जाए चाहें जिधर
रिश्तेदार उनके ही उधर पाएं जाते हैं।