भूल जाऊं तुझे भूल पता नहीं
भूल जाऊँ तुझे भूल पता नहीं
कुछ भी तेरे सिवा मुझको भाता नहीं
ढुंढू कहाँ तुमको आवाज दूँ
कुछ भी दिल को समझ आता नहीं
ढूंढता फिर रहा दरबदर मैं यहाँ
आ भी जाओ सुनो तुम छुपे हो कहाँ
बिन मिले चैन दिल को आता नहीं
भूल जाऊँ तुझे………….
बेरूखी है रुलाती ना रूठे रहो
शिकायत अगर है तो आकर कहो
कोई शिकवों से पार पाता नहीं
भूल जाऊँ तुझे…………
इनायत हो तुम इबादत हो तुम
हकीकत ये है कि मोहब्बत हो तुम
क्यों तुमको यकीन आता नहीं
भूल जाऊँ तुझे…………
“V9द” ना ऐसे ही तूँ तड़पा मुझे
आ भी जा आ भी जा ना तरसा मुझे
मुँह फेरकर यूँ कोई जाता नहीं
भूल जाऊँ तुझे………….