भूल गये तुमको …..
भूल गये तुमको, यूँ बातों ही बात में हम
इतने भीगे तनहा बारिश,-बरसात में हम
ज़ुल्म -सितम क्या जानो, सहना पड़ता जब-तब
फिर छोटी कुटिया,फिर वो ही औकात में हम
जिस हाल में हम हैं, सहने की क्षमता टूटी
क्षीण हुए भीतर ,सदमो की हालात में हम
एक कहर लगती, आज सजा सौ-सालो की
काटे प्रति-पल, कैदे-उमर हवालात में हम
बचपन नावें, कागज़ की कब तैरा करती
उस पर बहतेे ,कोरे- कोरे जज्बात में हम
दरख्त कोई देख लगा, सुख कितना लेकिन
काट-गिराने को रहते अक्सर घात में हम
सुशील यादव
४.६. १७