भूल गयी वह चिट्ठी
कहाँ भूल गयी वह चिट्ठी,
जिसमें जज़्बात लिखा करते थे।
चलती थी लिखने वालोंं के आँगन से,
मिलती थी जिनको प्रेम किया करते थे,
जबाब कहने को लौटा करती थी,
खुशहाल है सब ये कहा करती थी।
कहाँ भूल गयी वह चिट्ठी,
जिसमें जज़्बात लिखा करते थे ।….(1)
दिल के हाल बयांँ करते थे,
मोहब्बत के फूल छुपा रखते थे,
उन तक पहुंँच चुकी होगी मेरी चिट्ठी,
अटूट विश्वास हृदय में पाला करते थे।
कहाँ भूल गयी वह चिट्ठी,
जिसमें जज़्बात लिखा करते थे ।…..(2)
मेहमानों की भांँति आया करती थी,
कोई दस्तक दे पट पे दे जाया करता था,
दूर देश में जिंदा है अपने,
एक क्षण में महसूस कराया करती थी।
कहाँ भूल गयी वह चिट्ठी,
जिसमें जज़्बात लिखा करते थे ।……(3)
भूजाल तकनीक का फैला है जब से,
फेसबुक व्हाट्सएप ईमेल चला है अब ये,
रास्ता अपना भूल गयी अब चिट्ठी,
न जाने कहाँ अब खो गयी है चिट्ठी।
कहाँ भूल गयी वह चिट्ठी,
जिसमें जज़्बात लिखा करते थे ।……(4)
रचनाकार-
✍🏼✍🏼
बुद्ध प्रकाश
मौदहा हमीरपुर।