Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Dec 2021 · 2 min read

भूली-बिसरी यादें

——————————————————
आपसे मिले तो
याद आ गयी कुछ बातें।
बिसरने लगी कुछ बातें।
क्यांकि आप थे सौन्दर्य
दुःस्वप्न की तरह
आपाद मस्तक।
याद आई हमें
फुलों की खुश्बू,
आधी रात का पूरा चन्द्रमा,
सावन की काली घटायें,
चैत का बौराया बसंत,
फागुन का मस्त बयार।
और
महुआ से महका वातावरण,
भादो की उमड़ती, उफनती नदी।
और
सुबह का उगता हुआ सूरज,
सागर में पिघलता हुआ दिन।
और
हरे कोमल पत्ते,
दूब पर लटकी हुई शबनम की बुँदें।
सूनी पगडंडी पर एकाकी राही।
गोधूलि की वेला में
जँगल से लौटती, रँभाती गायेँ।
धरती के छाती को फाड़
अंकुरते सुकोमल पौधे।
लोक गीतों में विछोह के दर्द की
सुन्दरता।
सौन्दर्य का अर्थ ।
और
शुक नासिका,
उन्नत उरोज,
उँचा ललाट,
कमान सी तनी भवें,
काले नयन।
नागिन सी लम्बी काली लटें।
गोरा रँग,
श्याम वर्ण ,
लम्बी सुडौल अँगुलियाँ।
पतले ओंठ,
रँगे हुए नाखून,
मेंहदी रची हथेली,
पाँवों के महावर,
गहरी नाभि,
सुराहीदार गर्दन,
भारी नितम्ब,
खूबसूरत पाँव,
रक्ताभ कपोल,
तिरछी चितवन।
और
मृदु हास,
आकुल आमंत्रण।
तथा
लगे भूलने
नग्न सत्य,
जीवन के तथ्य।
गुलाब छूते हुए चुभा हुआ शूल।
दोपहर का तपा हुआ सूरज।
किनारे को निगलती बाढ़।
चैत का बुखार,
फागुन का जाड़ा।
महुआ बीनती झगड़ती औरतें।
चूता हुआ फूस का छत।
छप्पर उड़ाकर ले जाता हुआ झँझावात।
आसमान पर चढ़ता हुआ
तीक्ष्ण सूरज।
कट कर गिर गये वृक्ष।
सूखते पेड़।
धरती पर जन्मे हुये बेकार दूब।
सड़क पर कुचले कुत्ते।
पत्थर तोड़ते लोग,
बदन से चूता पसीना।
साँझ के साथ बढ़ती रतौंधी।
सूखाग्रस्त धरती।
खेतों के दरार,
अकाल का प्रकोप,
तिल-तिल कर झुलसते धान के पौधे।
कूँए में डूबता सा गरीबों का
कमजोर होता स्वर।
दिन के शेष पर अपना खाली हाथ।
आग जलाकर प्रतीक्षा करती पत्नी।
टकटकी लगाये बच्चे।
सिंह की तरह हिंस्त्र व भयावह दिन।
नाग की तरह विषैली
आकाओं की झिड़कियाँ।
अपना नपुँसक क्रोध।
आत्म प्रशंसा में कहे गए शब्द।
संघर्ष का कुरूप चेहरा।
अपना विषहीन दन्त।
बेबसी में ओढ़ी विनम्रता।
पैरों के नीचे से खिसकती धरती।
किसी के अहंकार के नीचे दबा
मेरा अहम्।
गौरवान्वित होने से वंचित व्यक्तित्व।
कटी हुई नाक होने का अहसास।
लटका हुआ मुँह।
धँसी व सिकुड़ी हुई आँखें।
पीले नयन।
कालिख लगे चेहरे।
बदहवास केश राशि।
बदन का बदरँग रँग।
चमड़े का पीत वर्ण।
प्यास से सूखे ओंठ।
खुरदुरी बेडौल अँगुलियाँ।
फटे हुए नाखून।
मिट्टी सनी हथेली।
बिबाई भरे पैर।
झुकी हुई गरदन।
दुःखता कमर।
लापता नितम्ब।
थके पाँव।
नुँचा चुथा और खसोटे कपोल।
दया माँगती दृष्टि।
दिल दहला देनेवाला क्रन्दन ।
गरीबी से घृणा।
जो याद आया है, है वह सच।
जो भूले वह भी सच।
सदियों से रूठी जिन्दगी का सच।
दरअसल, चौंधिया गया मेरा मन
आपके राजप्रासाद के श्वेत सँगमरमर की
सुन्दरता से।
दरअसल, आपके नक्शे कदम पर चलने को
लालायित हुई और बौखला गयी मेरी आँखें।
दरअसल, अपरिपक्व रह गया मेरा मन।
दरअसल,आके आपके प्रासाद तक
मैं भी चाहा हो जाना परिवर्तित
प्रासाद में।
दरअसल _ _ _ _ _ _

Language: Hindi
873 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हमको भी सलीक़ा है लफ़्ज़ों को बरतने का
हमको भी सलीक़ा है लफ़्ज़ों को बरतने का
Nazir Nazar
यक्ष प्रश्न
यक्ष प्रश्न
Shashi Mahajan
प्यार कर हर इन्सां से
प्यार कर हर इन्सां से
Pushpa Tiwari
बच्चे पैदा करना बड़ी बात नही है
बच्चे पैदा करना बड़ी बात नही है
Rituraj shivem verma
"" *सपनों की उड़ान* ""
सुनीलानंद महंत
ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत शिखरें,
ये ऊँचे-ऊँचे पर्वत शिखरें,
Buddha Prakash
लड़कियों के प्रति आकर्षण प्राकृतिक और स्वाभाविक होता है जिसम
लड़कियों के प्रति आकर्षण प्राकृतिक और स्वाभाविक होता है जिसम
Rj Anand Prajapati
अमीर-गरीब के दरमियाॅ॑ ये खाई क्यों है
अमीर-गरीब के दरमियाॅ॑ ये खाई क्यों है
VINOD CHAUHAN
"प्रार्थना"
Dr. Kishan tandon kranti
जो शख़्स तुम्हारे गिरने/झुकने का इंतजार करे, By God उसके लिए
जो शख़्स तुम्हारे गिरने/झुकने का इंतजार करे, By God उसके लिए
अंकित आजाद गुप्ता
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-151से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे (लुगया)
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-151से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे (लुगया)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
* हो जाता ओझल *
* हो जाता ओझल *
surenderpal vaidya
तीन सौ वर्ष पुराना माई का थान और उसके सेवारत महामंत्री सुनील
तीन सौ वर्ष पुराना माई का थान और उसके सेवारत महामंत्री सुनील
Ravi Prakash
*Relish the Years*
*Relish the Years*
Poonam Matia
रमेशराज की पद जैसी शैली में तेवरियाँ
रमेशराज की पद जैसी शैली में तेवरियाँ
कवि रमेशराज
????????
????????
शेखर सिंह
*रंग-बिरंगी दुनिया फिल्मी*
*रंग-बिरंगी दुनिया फिल्मी*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
3842.💐 *पूर्णिका* 💐
3842.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
उनको मंजिल कहाँ नसीब
उनको मंजिल कहाँ नसीब
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
हकीकत
हकीकत
P S Dhami
सबसे सुगम हिन्दी
सबसे सुगम हिन्दी
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
*तुम न आये*
*तुम न आये*
Kavita Chouhan
परित्यक्ता
परित्यक्ता
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
नामुमकिन है
नामुमकिन है
Dr fauzia Naseem shad
मंजिल
मंजिल
Dr. Pradeep Kumar Sharma
विकल्प///स्वतन्त्र कुमार
विकल्प///स्वतन्त्र कुमार
स्वतंत्र ललिता मन्नू
पेड़ पौधे फूल तितली सब बनाता कौन है।
पेड़ पौधे फूल तितली सब बनाता कौन है।
सत्य कुमार प्रेमी
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
धरती का बुखार
धरती का बुखार
Anil Kumar Mishra
अकारण सेकेंडों की बात मिनटों व घण्टों तक करने वाले न अपना भल
अकारण सेकेंडों की बात मिनटों व घण्टों तक करने वाले न अपना भल
*प्रणय*
Loading...