*”भूली बिसरी यादें”*
“भूली बिसरी यादें’
बीते हुए लम्हों को भूली बिसरी यादों स्मृति में ढूढ़ते।
एक दूजे का साथ निभाते सीमित दायरों में बंध जाते।
सपने संजोये उन यादों को फिर से एहसास जगाते।
भूली बिसरी यादों में खोये हुए वर्तमान से मूल्यांकन करते।
बचपन की बीती बातों को याद कर हंसी ठिठोली करते।
बीत गई जो बातों उन खुशी के पलों से मन बहला लेते।
गुजरा वक्त हाथ न आता सुख दुख छाया पगचिन्ह बन जाते।
आत्म बंधन में बंध अधूरी आस लगा कल्पनाओं की उड़ान भरते।
जय श्री कृष्णा राधेय राधेय ।