Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Oct 2017 · 1 min read

भूलना भी अच्छी बात है

स्वरचित
भूलने की आदत से परेशान हूं
क्या करू मै भी एक इंसान हूं
रख देता हू कही रखकर भूल जाता हूं
फिर भी मै भुलक्कड नही कहलाता हू्ं
भूलता हू एहसान करके मदद करके
मै ही नही वह भी भूलता है फरामोश बनकरके
नफरत दर्द तो पलभर बाद हीभूल जाता हूं
आश्चर्य है मुझे मै भुलक्कड नही कहलाता हू |
वो नफरत दर्द देता नही तो भूल अच्छी है
फिर मै भूला हूं मेरी याद्दास्त जो कच्ची है|

Language: Hindi
288 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गॉधी शरणम् गच्छामि
गॉधी शरणम् गच्छामि
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
#बस_भी_करो_बादलों!
#बस_भी_करो_बादलों!
*प्रणय*
*कोटि-कोटि हे जय गणपति हे, जय जय देव गणेश (गीतिका)*
*कोटि-कोटि हे जय गणपति हे, जय जय देव गणेश (गीतिका)*
Ravi Prakash
इंसान इंसानियत को निगल गया है
इंसान इंसानियत को निगल गया है
Bhupendra Rawat
मंजिलें
मंजिलें
Santosh Shrivastava
योग प्राणायाम
योग प्राणायाम
surenderpal vaidya
*इस बरस*
*इस बरस*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
समुद्र का नजारा सुंदर हैं।
समुद्र का नजारा सुंदर हैं।
Neeraj Agarwal
बोलने को मिली ज़ुबां ही नहीं
बोलने को मिली ज़ुबां ही नहीं
Shweta Soni
अर्चना की कुंडलियां भाग 2
अर्चना की कुंडलियां भाग 2
Dr Archana Gupta
Hallucination Of This Night
Hallucination Of This Night
Manisha Manjari
इंसान चाहे कितना ही आम हो..!!
इंसान चाहे कितना ही आम हो..!!
शेखर सिंह
देख के तुझे कितना सकून मुझे मिलता है
देख के तुझे कितना सकून मुझे मिलता है
Swami Ganganiya
3699.💐 *पूर्णिका* 💐
3699.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
अंगुलिया
अंगुलिया
Sandeep Pande
हमारे हाथ से एक सबक:
हमारे हाथ से एक सबक:
पूर्वार्थ
हम खुद से प्यार करते हैं
हम खुद से प्यार करते हैं
ruby kumari
याद में
याद में
sushil sarna
पीपल बाबा बूड़ा बरगद
पीपल बाबा बूड़ा बरगद
Dr.Pratibha Prakash
"रंगमंच पर"
Dr. Kishan tandon kranti
लोग कहते रहे
लोग कहते रहे
VINOD CHAUHAN
होरी खेलन आयेनहीं नन्दलाल
होरी खेलन आयेनहीं नन्दलाल
Bodhisatva kastooriya
मालूम नहीं, क्यों ऐसा होने लगा है
मालूम नहीं, क्यों ऐसा होने लगा है
gurudeenverma198
सुख दुख
सुख दुख
Sûrëkhâ
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
Shyam Sundar Subramanian
सदा दूर रहो गम की परछाइयों से,
सदा दूर रहो गम की परछाइयों से,
Ranjeet kumar patre
आ अब लौट चले
आ अब लौट चले
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
*मनः संवाद----*
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
मोल
मोल
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
आइना देखा तो खुद चकरा गए।
आइना देखा तो खुद चकरा गए।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...