#कुंडलिया//भूख
भूखा कोई आदमी , नहीं रहेगा आम।
होंगे सब ख़ुशहाल जब , करके मन से काम।।
करके मन से काम , प्रवृति पशु की खुद चरना।
मानवता है एक , फिकर सबकी ही करना।
सुन प्रीतम की बात , नहीं शुभकर रुत रूखा।
गर्व करे तब देश , नहीं हो कोई भूखा।
#आर.एस. ‘प्रीतम’