भूख
भूख होती है ऐसी प्रेम नफरत युद्ध सबसे ऊंची, सिर्फ रोटी की ओर खींचे, शायद मानव इसलिए पैसे के है पीछे।
दुखदाई दुख देती है, रोटी पाने का भय खोती है , पाप चोरी का दुनिया भूख की वजह से सहती है।
भूख पैसे से खरीदी नहीं जाती है, गरीब को मुफ्त मिल जाती है।
धनी को स्वादिष्ट भोजन की आस होती, सूखी रोटी भी मिलने की उम्मीद गरीब को नहीं होती।
भूख की क्या औकात, अगर मिल बांटकर खाए संसार।