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29 Mar 2020 · 1 min read

भूख ने तोड़ा तो।

जिन सपनों ने गांव गली घर छुड़वाया,
भूख ने तोड़ा तो वे सारे टूट गये।।

दूर से चंदा जैसा लगता था लेकिन,
पास गये तो पाया जुगनू मरा हुआ।
जाते वक्त उमंग भरी थी दिल में पर,
लौट रहे हैं मन को लेकर डरा हुआ।।

जो अम्बर तक को छूने को कहतीं थी,
उन्हीं ख्वाहिशों के घट देखो फूट गये।।

चाकर बनकर सूरज के ताउम्र रहे,
किंतु कभी मुट्ठी भर धूप नहीं पायी।
जिन्हें समय पर हम देवर से लगते थे,
आज समय पर रहीं नहीं वे भौजाई।।

जिनकी आंखों में अपनापन ढूँढ़ा वे,
आशाओं का सकल शहर ले लूट गये।।

अब दोष किसे दें हम आखिर बतलाओ,
दुनिया को, खुद को या, फूटी किस्मत को।
करें प्रार्थना किससे किसको पत्र लिखें।
अपने ही सब नोच रहे जब अस्मत को।।

समय ने करवट बदली तो अगले पल में,
सब रिश्ते सब नाते पीछे छूट गये।

प्रदीप कुमार “दीप”
सुजातपुर, सम्भल

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 241 Views
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