भूख का गणित
भूख का गणित
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पेट पर हाथ रख कर
वह भूख पालता रहा
जहां तक संभव था
भूख को टालता रहा
गाड़ी आई
वह जा चढ़ा
जब तक भूख थी
वह गाता रहा
सुर लगाये
तान लगाई
ज़ोरों से
खड़ताल बजाई
लोगों के आंसू निकले
हर जेब से
पैसे निकले
गाने की ख़ूब
हुई बिक्री
भूख उसकी
ख़ूब बिकी
स्टेशन आया
गाड़ी रुकी
वह दौड़ा
मन भर खाया
पूरी,आलू पकौड़ा
जेब पर
हाथ लगाया
पैसे थे
रेलगाड़ी आई
दूसरी भी
चली गई
वह सोया रहा
फटी चादर
तान कर
अब न तो भूख थी
वही पैसों की कमी
अगली भूख तक
नींद में रहेगा वह
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राजेश’ललित’
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