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30 Dec 2022 · 3 min read

भुलक्कड़ मोनू बंदर- कहानी

जंगल में बहुत से जानवर थे उनमे एक था मोनू बन्दर | उसका भुलक्कड़पन उसकी सबसे बड़ी समस्या थी | वैसे मोनू बन्दर को तैराकी करना, साइकिल चलाना , साइकिल पर स्टंट करना और साहसिक काम करना उसकी आदतें थीं | मोनू बन्दर तैराकी के मामले में सबसे बढ़िया तैराक था उसकी टक्कर का कोई तैराक पूरे जंगल में नहीं था | दूसरे जानवरों के साथ शरारतें करना, उन्हें परेशान करने में मोनू बन्दर को बहुत मजा आता था | मोनू बंदर की भूलने की आदत के कारण वह कई बार मुसीबत में पड़ चुका था |
एक बार की बात है जंगल की पास की एक नदी में एक बकरी का बच्चा बह गया | दूसरे जानवरों ने मोनू बन्दर से कहा कि वह एक बेहतर तैराक है सो वह कोशिश करे और बकरी के बच्चे को बचा ले | मोनू बंदर आनन् – फानन में नदी में कूद पड़ा | बकरी का बच्चा दूर तक बह गया जब तक मोनू बन्दर उसके पास पहुँचता तब तक वह यह भूल गया कि आखिर वह नदी में कूदा क्यों | उसके इस भुल्लककड़पन की वजह से बकरी का बच्चा नदी में डूब कर मर गया | जंगल के सभी जानवर मोनू बंदर को कोसने लगे कि तुम्हारी वजह से ही बकरी का बच्चा मर गया | मोनू बंदर को यह बात भीतर तक चोट कर गयी और उसने यह बात को अपने दिल पर ले लिया | अब उसने फैसला कर लिया कि वह जंगल के किसी पढ़े लिखे बुजुर्ग से सलाह लेगा कि वह ऐसा क्या करे कि उसकी भूलने की आदत ख़त्म हो जाए | वह भागा – भागा जंगल के एकमात्र सबसे समझदार और आदर्श टीचर श्री टकमक भालू के पास जा पहुंचा और सारी घटना बताकर अपने लिए कोई रास्ता सुझाने का निवेदन किया | टकमक भालू ने उसे योग शिक्षक श्री श्री टिल्लू प्रसाद जी बैल के पास जाने की सलाह दी |
जंगल के जानवरों को बिना बताये मोनू बंदर योग शिक्षक श्री श्री टिल्लू प्रसाद जी बैल के पास जा पहुंचा | पर उनके पास पहुंचते ही वह यह भूल गया कि वह किस काम के लिए योग शिक्षक श्री श्री टिल्लू प्रसाद जी बैल के पास आया है | पर योग शिक्षक श्री श्री टिल्लू प्रसाद जी बैल समझ गए कि मोनू बंदर उनके पास क्यों आया है | सो उन्होंने मोनू बन्दर को अपना शिष्य बना लिया | कुछ ही दिनों में छोटी – छोटी याद रखने वाली गतिविधियों जैसे पढ़ने , याद करने और लिखने और योग आसन जैसे प्राणायाम, पद्मासन , भ्रामरी आसन और याददाश्त से जुड़े अन्य आसनों के जरिये योग शिक्षक श्री श्री टिल्लू प्रसाद जी बैल ने उसकी भूल जाने की आदत को ख़त्म कर देते हैं | मोनू बंदर ने अपने गुरु योग शिक्षक श्री श्री टिल्लू प्रसाद जी बैल जी का कोटि – कोटि आभार व्यक्त किया और अपने घर की ओर चल दिया |
घर के रास्ते में मोनू बंदर को एक वही नदी मिली जिसमे डूबकर बकरी का बच्चा मर गया था | जब मोनू बंदर उस नदी को पार कर रहा था तभी उसने देखा कि नदी के बीचों – बीच एक गिलहरी का बच्चा डूब रहा है | नदी के किनारे खड़े जानवरों को मोनू बन्दर से कोई आस न थी | क्योंकि पिछली घटना सभी के मस्तिस्क में अभी भी बसी थी | पर मोनू बन्दर अपनी ओर से पूरी कोशिश कर गिलहरी के बच्चे को बचाकर नदी से बाहर ले आता है | सभी जानवर मोनू बंदर की तारीफ़ करते हैं और उससे अपने भूलने की आदत पर विजय पाने का राज पूछते हैं | मोनू बंदर योग शिक्षक श्री श्री टिल्लू प्रसाद जी बैल के बारे में सबको बताता है | सभी जानवर एक साथ कहते हैं कि वे भी आज से योग अभ्यास किया करेंगे | ताकि स्वस्थ रह सकें | जंगल में ख़ुशी का वातावरण निर्मित हो जाता है |

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