Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 May 2021 · 1 min read

भुजंगप्रयात छन्द विधान

भुजंगप्रयात छन्द
मापनी-122 122 122 122

यह एक 20 मात्रिक छन्द है। चार चरण चारो या दो-दो पँक्ति समतुकांत

उदाहरण
करूँ वन्दना शारदे माँ तुम्हारी।
चले लेखनी अनवरत माँ हमारी।
कृपा आप हम पर जरा कीजिये माँ।
नवल भाव नव शब्द भर दीजिये माँ।

अभिनव मिश्र अदम्य

Language: Hindi
1 Like · 752 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
2979.*पूर्णिका*
2979.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बड़ी मोहब्बतों से संवारा था हमने उन्हें जो पराए हुए है।
बड़ी मोहब्बतों से संवारा था हमने उन्हें जो पराए हुए है।
Taj Mohammad
अजीब बात है
अजीब बात है
umesh mehra
कहीं फूलों के किस्से हैं कहीं काँटों के किस्से हैं
कहीं फूलों के किस्से हैं कहीं काँटों के किस्से हैं
Mahendra Narayan
💐प्रेम कौतुक-413💐
💐प्रेम कौतुक-413💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
धूप निकले तो मुसाफिर को छांव की जरूरत होती है
धूप निकले तो मुसाफिर को छांव की जरूरत होती है
कवि दीपक बवेजा
हाल ऐसा की खुद पे तरस आता है
हाल ऐसा की खुद पे तरस आता है
Kumar lalit
"सोच"
Dr. Kishan tandon kranti
✍️पर्दा-ताक हुवा नहीं✍️
✍️पर्दा-ताक हुवा नहीं✍️
'अशांत' शेखर
*वक्त की दहलीज*
*वक्त की दहलीज*
Harminder Kaur
लेके फिर अवतार ,आओ प्रिय गिरिधर।
लेके फिर अवतार ,आओ प्रिय गिरिधर।
Neelam Sharma
सहित्य में हमे गहरी रुचि है।
सहित्य में हमे गहरी रुचि है।
Ekta chitrangini
عظمت رسول کی
عظمت رسول کی
अरशद रसूल बदायूंनी
नया युग
नया युग
Anil chobisa
Gulab ke hasin khab bunne wali
Gulab ke hasin khab bunne wali
Sakshi Tripathi
आत्म अवलोकन कविता
आत्म अवलोकन कविता
कार्तिक नितिन शर्मा
*अपने  शहर  का आज का अखबार देखना  (हिंदी गजल/गीतिका)*
*अपने शहर का आज का अखबार देखना (हिंदी गजल/गीतिका)*
Ravi Prakash
"अकेलापन"
Pushpraj Anant
के जब तक दिल जवां होता नहीं है।
के जब तक दिल जवां होता नहीं है।
सत्य कुमार प्रेमी
रंगों का त्यौहार है, उड़ने लगा अबीर
रंगों का त्यौहार है, उड़ने लगा अबीर
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
तुम पतझड़ सावन पिया,
तुम पतझड़ सावन पिया,
लक्ष्मी सिंह
◆कुटिल नीति◆
◆कुटिल नीति◆
*Author प्रणय प्रभात*
कल देखते ही फेरकर नजरें निकल गए।
कल देखते ही फेरकर नजरें निकल गए।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
9) “जीवन एक सफ़र”
9) “जीवन एक सफ़र”
Sapna Arora
* खूब खिलती है *
* खूब खिलती है *
surenderpal vaidya
रिशतों का उचित मुल्य 🌹🌹❤️🙏❤️
रिशतों का उचित मुल्य 🌹🌹❤️🙏❤️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
बन्दिगी
बन्दिगी
Monika Verma
"शीशा और रिश्ता बड़े ही नाजुक होते हैं
शेखर सिंह
तुम भी पत्थर
तुम भी पत्थर
shabina. Naaz
मुझे हर वो बच्चा अच्छा लगता है जो अपनी मां की फ़िक्र करता है
मुझे हर वो बच्चा अच्छा लगता है जो अपनी मां की फ़िक्र करता है
Mamta Singh Devaa
Loading...