भीरू शौहर
******* भीरू शौहर *******
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भारी बीवियों के हल्के हैं शौहर,
हँसती हैं बीबियाँ रोते हैं शौहर।
जलजले सा होता है रौद्र रूप,
दबंग पत्नियों के भीरू शौहर।
बांकी अदाएं होती हैं आसमानी,
बिजली कड़कती डरते हैं शौहर।
गजब के नखरे दिखाती रहती,
नखरों से व्यथित होते हैं शौहर।
कुछ कहने का मौका देती नहीं,
झट से कहें चुप क्यों हो शौहर।
दिन भर खुशी से गप्पे हांकती,
मायूस मुख दर्शन करते शौहर।
पिया को दिखाती तीखे तेवर,
थककर घर जब पहुंचते शौहर।
सभी पर होती है नारी ये भारी,
बग़ल झांकते रहे बेचारे शौहर।
सारा दिन घर पर हैं खुश रहती,
दुखी होती जब घर आते शौहर।
मनसीरत सदा से मौन व्रतधारी,
कुछ कह न पाए बन कर शौहर।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)