भिन्न रूप में पूजिए
मां बहन बेटी बहू , सुख समृद्धि आधार ।
भिन्न रूप में पूजिए , महिला वनिता नार ।।
सर्वप्रथम जिस गोद में , पाई सुख की छांव ।
ऐसी अनुपम मोद भरी , कहां मिलेगी ठांव ।।
परम निराला शब्द ‘ मां ‘, सकल सृष्टि का सार ।
लघु ललाम इस शब्द में , बसा स्नेह संसार ।।
प्यारा रिश्ता बहन का , बचपन बीता संग ।
मित्र सनेही मातृवत , देखे कितने रंग ।।
बेटी घर की शान है , बेटी घर की आन ।
बेटी से घर पूर्ण है , बेटी सुख की खान ।।
बेटी घर से विदा हुई , मिला बहू का नाम ।
बहू ही बेटी जानिए , यही प्रेम पैगाम ।।
भार्या जीवन संगिनी , छोड़ा बाबुल द्वार ।
रिश्ते नाते अनजान से , किया सहर्ष स्वीकार ।।
अशोक सोनी
भिलाई ।
9406027423