भिखारी कोई अपनी मर्जी,,,
भिखारी कोई अपनी मर्जी से नही बनता है
उसके हालातो ने उसे बनाया है
गरीबी है नाम उसका
जिसने भिखारी उसे बनाया है
जब खाने को ना हो घर में दाना
भूखे रोते बच्चे सामने हो बिलखते
फिर ऐसे में कोई क्या करेगा
क्या वो जिंदगी भर भूखा रहेगा
या फिर जिंदगी से हार जाएगा
भिख मागना कोई उनका शोक नही
ये तो उनके बुरे हालात है
जो उनसे भीख मगाते है
न चाहते हुए भी उन्हे भिखारी बनाते है
किसी के आगे हाथ फेलाना
आखिर किस को पसंद है
लोगो की कडवी बाते सुनना
लोगों की गालिया सुनना
किस को पसंद है
कहते है न की जब हालात बिगड़ते
तो अच्छा खासा आदमी भी
हालातो के सामने मजबूर हो जाता है
और साहब ये तो गरीबी की लाचारी है
जहाँ सिर्फ पेट दिखता है
बाकी कुछ नही,
श्री रावत,