भिक्षा
बना लिया व्यवसाय मनुज ने, हाथ पसार माँगना भिक्षा।
किसी उदार धनी दाता की, करता है अविराम प्रतीक्षा।
वहीं एक दिव्यांग श्रमिक ने, भार ढो रखा सिर कंधों पर,
उसे देख क्या भीरु आलसी, ले पायेगा कोई शिक्षा ?
बना लिया व्यवसाय मनुज ने, हाथ पसार माँगना भिक्षा।
किसी उदार धनी दाता की, करता है अविराम प्रतीक्षा।
वहीं एक दिव्यांग श्रमिक ने, भार ढो रखा सिर कंधों पर,
उसे देख क्या भीरु आलसी, ले पायेगा कोई शिक्षा ?