भाषा की उत्पत्ति
हिन्दी भाषा की उत्पत्ति
भाषा की उत्पत्ति संस्कृत के भाष् धातु से
भाषा का अर्थ है कहना
हिन्दी फारसी का एक शब्द है
जो है संस्कृत भाषा का गहना।
विश्व की प्राचीन भाषा संस्कृत
मानव उत्पत्ति का 1500 ईसा पूर्व
संस्कृत में लिखे थे दो ग्रंथ
ऋग्वेद और ईरानी अवेस्ता ग्रंथ।
संस्कृत के मिलते दो रूप हमें
एक वैदिन, दूजी उत्तर संस्कृत
काल 1500 से 1000 ईसा पूर्व तक
है वैदिक या देववाणी संस्कृत
उत्तर संस्कृत ब्राह्मण संस्कृत या लौकिक संस्कृत कहलाती
हुआ इससे एक नई भाषा का निर्माण
संस्कृत से उपजी पाली भाषा कहलाती
बौधों ने किया जिससे अपने ग्रंथों का निर्माण
पाली भाषा भारत की प्रथम रही
जिससे देसी जन भाषा का हुआ उदय
प्रथम शताब्दी से 500 ई० तक
बाद प्राकृत भाषा का हुआ उदय
प्राकृत बनी मलेच्छों की भाषा
जिससे जैनों ने किया धर्म प्रचार
इसकी अवधि 500 से 1000 ई० तक रही
प्राकृत भाषा अब अपभ्रंश में करें प्रसार
अपभ्रंश भाषा के सात प्रकार हैं
शौरसेणी, खश, पैशाची, अपभ्रंश
महाराष्ट्र, ब्राचड़, अपभ्रंश
अर्धमाधवी और माधवी अपभ्रंश।
शौरसेणी से पश्चिम में बोली जाने वाली भाषा
पश्चिमी हिन्दी, गुजराती, राजस्थानी हिंदी
खश से पहाड़ी हिंदी, पैशाची से पंजाबी और लैहंदा भाषा
महाराष्ट्री से मराठी, अर्धमाधवी से पूर्वी हिंदी
माधवी से बांग्ला, असि्मया, उड़िया और बिहारी हिन्दी।
खड़ी हिन्दी के उदय होने से पूर्व
सनातन धर्म लुप्त हो रहा था
बोधों का चहुं ओर पाली भाषा में अपने धर्म प्रसार हो रहा था।
अष्टछाप संतो ने अपभ्रंश हिंदी से
सनातन धर्म उत्थान की अलख जगाई
देश-प्रदेश घूम घूम कर
अपने धर्म की जोत जलाई।
आदि काल से आधुनिक काल तक
साहित्यकारों ने हिंदी का प्रचार किया
साधारण जन-जन तक बात पहुॅ॑चाने
सरल हिंदी में प्रचार किया।
ललिता कश्यप