Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Mar 2021 · 1 min read

भाव लहर

देखो मैं भी हूँ समुद्र लहरों सी
वो किनारा छू जाती हैं प्यार में
वैसे मेरे मन के भाव शब्द रूप ले
छू जाते है दिल को तेरे प्यार में।
समुद्र की लहरों से भाव मेरे
उमड़ते रहते हैं मन मे मेरे
उठा लेखनी लिख देती हूँ
भाव लहरों को शब्दो में।।

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 287 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Dr Manju Saini
View all
You may also like:
कुपथ कपट भारी विपत🙏
कुपथ कपट भारी विपत🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
मैं तुम्हें लिखता रहूंगा
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
उजाले अपनी आंखों में इस क़दर महफूज़ रखना,
उजाले अपनी आंखों में इस क़दर महफूज़ रखना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
लोग समझते थे यही
लोग समझते थे यही
VINOD CHAUHAN
यादों के तराने
यादों के तराने
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
#लघुकथा
#लघुकथा
*प्रणय प्रभात*
क्यों बनना गांधारी?
क्यों बनना गांधारी?
Dr. Kishan tandon kranti
एहसास के सहारे
एहसास के सहारे
Surinder blackpen
ग़मों को रोज़ पीना पड़ता है,
ग़मों को रोज़ पीना पड़ता है,
Ajit Kumar "Karn"
खुद के होते हुए भी
खुद के होते हुए भी
Dr fauzia Naseem shad
*
*" कोहरा"*
Shashi kala vyas
यादो की चिलमन
यादो की चिलमन
Sandeep Pande
प्रेम वो भाषा है
प्रेम वो भाषा है
Dheerja Sharma
जुगनू
जुगनू
Dr. Pradeep Kumar Sharma
लोकतंत्र के प्रहरी
लोकतंत्र के प्रहरी
Dr Mukesh 'Aseemit'
फूल ही फूल संग
फूल ही फूल संग
Neeraj Agarwal
ताटंक कुकुभ लावणी छंद और विधाएँ
ताटंक कुकुभ लावणी छंद और विधाएँ
Subhash Singhai
दोहे. . . . जीवन
दोहे. . . . जीवन
sushil sarna
हो रही है ये इनायतें,फिर बावफा कौन है।
हो रही है ये इनायतें,फिर बावफा कौन है।
पूर्वार्थ
हर बार धोखे से धोखे के लिये हम तैयार है
हर बार धोखे से धोखे के लिये हम तैयार है
manisha
2596.पूर्णिका
2596.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
२०२३
२०२३
Neelam Sharma
जंगल ये जंगल
जंगल ये जंगल
Dr. Mulla Adam Ali
कुछ लोग रिश्ते में व्यवसायी होते हैं,
कुछ लोग रिश्ते में व्यवसायी होते हैं,
Vindhya Prakash Mishra
“अशान्त मन ,
“अशान्त मन ,
Neeraj kumar Soni
दिल तो ठहरा बावरा, क्या जाने परिणाम।
दिल तो ठहरा बावरा, क्या जाने परिणाम।
Suryakant Dwivedi
चंचल मन चित-चोर है , विचलित मन चंडाल।
चंचल मन चित-चोर है , विचलित मन चंडाल।
Manoj Mahato
स्मरण और विस्मरण से परे शाश्वतता का संग हो
स्मरण और विस्मरण से परे शाश्वतता का संग हो
Manisha Manjari
खुली किताब सी लगती हो
खुली किताब सी लगती हो
Jitendra Chhonkar
Loading...