भावुक हुए बहुत दिन हो गए
भावुक हुए
बहुत दिन
हो गये..
तन-मन बदले
आँसू सूख गये।
भाव से ही नीर
का रिश्ता
होता है..
हो जाये कुछ भी
क्या होता है।।
बदल रही दुनिया
मानक बदल गये
दीवारें तो खड़ी हैं
आंगन दरक गये।।
सोचता हूँ…
इस उम्र का क्या करूँ
तिल तिल कर
पल ठहर गये..!
पोटली में मेरी
वसीयत पड़ी है
देखना गौर से
नसीहत खड़ी है।
सूर्यकांत द्विवेदी