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2 Apr 2024 · 1 min read

* भावना में *

** गीतिका **
~~
भावना में जो सदा रमते रहे।
सत्य से ही दूर वो रहते रहे।

झूठ आकर्षक बहुत लगता कभी।
आवरण मन पर सघन पड़ते रहे।

सत्य में ही है परम आनंद जब।
हम स्वयं को झूठ से छलते रहे।

जो बने हैं झूठ की दीवार पर।
वो भवन असमय सदा ढहते रहे।

जो कहीं डगमग नहीं होते कभी।
सत्य पथ पर वो कदम बढ़ते रहे।
~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, ०२/०४/२०२४

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