भावक की नीयत भी किसी रचना को छोटी बड़ी तो करती ही है, कविता
भावक की नीयत भी किसी रचना को छोटी बड़ी तो करती ही है, कविता पसंद, नापसंद और राजनीति के हिसाब से भी हमें छोटी बड़ी लगती है। वैसे, कई बार कविता नापसंद भी तो उसका क्राफ्ट हमें जंचता है। इसके विपरीत अच्छी लगती रचना का भी शिल्प पसंद नहीं आता।