“भालू”
“भालू”
कभी मदारी आता था
डम डम डमरू बजाता था
भालू को नचाता था
सबका मन बहलाता था।
दूर से भालू सूंघ लेता है
अकेला ही रह लेता है
दाँत होते बड़े नुकीले
पानी में भी तैर लेता है।
“भालू”
कभी मदारी आता था
डम डम डमरू बजाता था
भालू को नचाता था
सबका मन बहलाता था।
दूर से भालू सूंघ लेता है
अकेला ही रह लेता है
दाँत होते बड़े नुकीले
पानी में भी तैर लेता है।