भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खां साहब
डुमरांव ठठेरी बाजार बिहार में
जन्मा शहनाई सितारा था
पैगंबर खां मिट्ठन बाई के घर
आया जग का तारा था
21 मार्च 1916 को जन्मे बिस्मिल्लाह खान थे
मिली विरासत में शहनाई
पिता और दादा भी कला की खान थे
डुमरांव रियासत महाराजा केशव सिंह के
दरबार में वे शहनाई वादक थे
हिंदुस्तानी राग रागिनी के दोनों ही नायक थे
बनारस में थे मामू अली बख्श विलायती
विश्वनाथ मंदिर में शहनाई वादक थे
6 वर्ष की उम्र में उस्ताद बनारस आए थे
अपने मामू अली बख्श को अपना गुरु बनाए थे
बालाजी मंदिर के नौबत खाने में
उस्ताद रियाज़ किया करते थे
शहनाई की बारीकियां गुरु मामू से सीखा करते थे
विश्वनाथ मंदिर घाटों पर शहनाई जब बजती थी
मंत्रमुग्ध हो जाते थे सब जब राग रागिनी सजती थी
शहनाई के मधुर स्वर सारे संसार में गूंजे थे
एक सच्चे भारत रत्न थे वे
किस्से भी उनके अनूठे थे
एक बार अमेरिकी राष्ट्रपति ने
अमरीका में बसने का प्रस्ताव दिया
हर सुख सुविधा देने का खान साहब को वादा किया
बोले उस्ताद महामहिम से
सुख सुविधाएं तो बहुत दे पाओगे
मेरी गंगा मां और घाट बनारस
महामहिम कहां से लाओगे
देखकर गंगा देश प्रेम राष्ट्रपति नतमस्तक थे
बड़े अनूठे थे उस्ताद
गंगा जमुनी तहजीब के हस्ताक्षर थे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी