भारत रत्न इंदिरा गांधी
भारत रत्न इंदिरा गांधी
प्रियदर्शिनी इंदिरा गांधी, वह दुर्गा मात भवानी थी
शहीद हुई वतन की खातिर,वह ऐसी ही बलिदानी थी।
वह वीर जवाहर की बेटी, कमला नेहरू की जायी थी
अवतरण हुआ प्रयाग में जब आजादी की छिड़ी लड़ाई थी
पली बढ़ी योद्धाओं के संग, खुद बानर सेना बनाई थी
गई जेल सदा थी समर्पित, सेनानी वह कहलाई थी
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विद्रोहिनी थी सदा मन से, फिरोज से ब्याह रचा बैठी
ले आशीर्वाद महात्मा का, वह गांधी नाम कमा बैठी
बने नेहरू जब प्रधानमंत्री, वह उनकी छाया बन बैठी
जिम्मेदारी से नहीं हटी, राजनीति नियति बना बैठी
प्रथम महिला बनी भारत की, प्रधानमंत्री का पद पाया
नहीं सुगम थी उसकी राहें, संधर्ष तूफान उमड़ आया
नहीं कभी हारी हिम्मत वह , जनता ने उसका साथ दिया
बढ़ाया देश को आगे था, जन जन को अपना हाथ दिया
बदला भूगोल इतिहास रचा,वह लौह महिला कहलाई
दुश्मन के छक्के छुड़ाने को, शौर्य और प्रतिभा दिखलाई
विश्वास में लिया विश्व को जब, नव देश क्षितिज पर ले आई
महाशक्ति का जंगी बेड़ा, धमकी से वह नहीं धबराई
जनता का बढ़ता प्यार देख, कुछ सीनों पर सांप लोट गया
भारत का बढ़ता प्रताप देख, साजिशी बाजार गर्म हुआ
आतंक का चेहरा खूंखार देख, उसका भरसक इलाज किया
दे दिया बलिदान जीवन का, पर देश को उसने बचा लिया
खो कर अपनी प्रिय नेता को, तब बच्चा बच्चा रोया था
धरती का धैर्य था थर्राया, अंबर भी तब नहीं सोया था
उमड़ पड़ा तब जन सैलाब,जैसे कोई अपना खोया था
दे दी फांसी हत्यारों को, काटा जो जैसा बोया था
भारत ने भारत रत्न दिया, वह हिमालय-सी कल्याणी थी
याद रखें गी सदियां सदा, ज्यों वह झांसी की रानी थी
प्रियदर्शिनी इंदिरा गांधी, वह दुर्गा मात भवानी थी
शहीद हुई वतन की खातिर, वह ऐसी ही बलिदानी थी।